महाप्रभु जगन्नाथ (श्री कृष्ण) को कलयुग का भगवान भी कहा जाता है पुरी (उड़ीसा) में भगवान जगन्नाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ निवास करतें हैं।
1. हर 12 साल में महाप्रभु की मूर्ति को बदल दिया जाता है उस समय पूरे पुरी शहर में किया जाता है मतलब पूरे शहर की लाइट बंद कर दी जाती है।
2. लाइट बंद होने के बाद मंदिर परिसर को की सेना चारों तरफ़ से घेर लेती है उस समय कोई भी मंदिर में नही जा सकता। मंदिर में घना अंधेरा रहता है, पुजारी के आँखों में पट्टी बंधी होती है, पुजारी के हाँथ में दस्ताने होतें हैं वो पुरानी मूर्ति से “ब्रह्म पदार्थ” निकालतें हैं और नयी मूर्ति में डाल देतें हैं ये ब्रह्म पदार्थ क्या है आज तक किसी को नही पता। इसे आज तक किसी ने नहीं देखा, हज़ारों सालों से ये एक मूर्ति से दूसरी मूर्ति में ट्रांसफ़र किया जा रहा है।
ये एक अलौकिक पदार्थ है, जिसे छूने मात्र से किसी इंसान के जिस्म के चीथड़े उड़ जाए। इस ब्रह्म पदार्थ का सम्बंध भगवान श्री कृष्ण से है, मगर ये क्या है कोई नही जानता। ये पूरी प्रक्रिया हर 12 साल में एक बार होती है। उस समय सुरक्षा बहुत ज़्यादा होती है मगर आज तक कोई भी पुजारी ये नही बता पाया कि महाप्रभु जगन्नाथ की मूर्ति में आख़िर ऐसा क्या है ?
कुछ पुजारियों का कहना है कि जब हमने हाँथ में लिया तो ख़रगोश जैसा उछल रहा था आँखों में पट्टी थी, हाँथों में दस्ताने थे तो हम सिर्फ़ महसूस कर पाए।
3. आज भी हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा के आयोजन में सोने की झाड़ू से पुरी के राजा ख़ुद झाड़ू लगाने आतें हैं।
4. भगवान जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार से पहला क़दम अंदर रखते ही समुद्र के लहरों की आवाज़ अंदर सुनायीं नहीं देती जबकि आश्चर्य होने वाली बात यह है कि जैसे ही आप मंदिर से एक क़दम बाहर रखेंगे वैसे ही समुद्र की आवाज़ सुनायी पड़ेगी।
5. आप ने ज़्यादातर मंदिर के शिखर पर पंछी बैठे उड़ते देखे होंगें लेकिन महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर के ऊपर कोई भी पंछी नही गुज़रता ।
6. महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर के ऊपर लगा झंडा हमेशा हवा के उलटी दिशा में लहराता है और दिन में किसी भी समय भगवान जगन्नाथ के मुख्य शिखर की परछायीं नही बनती।
7. भगवान जगन्नाथ मंदिर 45 मंज़िला शिखर पर स्थित झंडे को प्रतिदिन बदला जाता है,ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नही बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा। इसी तरह भगवान जगन्नाथ के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है जो हर दिशाओं से देखने पर हमेशा आप के मुख की तरफ़ ही दिखता है।
8. भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद के लिए मिट्टी के सात बर्तन एक दूसरे के ऊपर रखे जातें हैं, जिसे लकड़ी के आग से ही पकाया जाता है। इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले बनता है। भगवान जगन्नाथ मंदिर में हर दिन बनने वाला प्रसाद कभी कम नही पड़ता, लेकिन हैरान करने वाली बात है कि जैसे ही मंदिर के पट बंद होतें हैं वैसे ही प्रसाद भी ख़त्म हो जाता है।
सनातन धर्म की महिमा आज से नही अनादि से चमत्कारिक रही है। पूरे विश्व में अगर कोई धर्म है जिसे विश्व ने मान्यता दी है तो वो है "सनातन धर्म"
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