बाली और हनुमान युद्ध

बाली और हनुमान युद्ध



बाली ने जब रावण जैसे शक्तिशाली राक्षस को हराकर अपने पूंछ मे बान्ध कर घुमाया था । तो उसका अहंकार बहुत बढ़ गया। वो हर किसी को युद्ध के लिए ललकारने लगा। एक बार जब वो जंगल मे युद्ध के लिए सबको ललकार रहा था । तब उसने हनुमान जी को युद्ध करने के लिए ललकारा।हनुमानजी ने कहा की मैं युद्ध नही करना चाहता। लेकिन बाली ने हनुमानजी को युद्ध करने पर विवश कर दिया।हनुमान जी ने भी युद्ध के लिए हाँ कर दी।

अगले दिन जब हनुमानजी युद्ध करने के लिए जाने लगे तो इन्द्र वहाँ आये और उनसे अपने पुत्र को माफ करने को कहा। और कहा कि आप अपनी शक्ति का 10वां भाग ही अपने साथ ले जाये । तो हनुमानजी ने उनकी बात मान ली और जब वे बाली के सामने युद्घ के लिए तैयार हुए। जब हनुमान जी बाली के सामने आए तो उनकी आधी शक्ति बाली के अंदर चली गयी।

बाली का शरीर उनकी शक्ति को संभाल नही पा रहा था। बाली का शरीर फटने ही वाला था कि बाली ने हनुमानजी से क्षमा मांगते हुए कहा कि हे पवन पुत्र आपकी शक्तियों को संभालना मेरे बस में नही है। आप अपनी श्री शक्ति वापिस ले लीजिए। कृपया मेरी रक्षा कीजिये ।नही तो मेरा ये शरीर नष्ट हो जाएगा। हनुमानजी ने उसकी प्रार्थना को सुना और अपनी सारी शक्ति वापिस ले ली। बाली वहाँ से भाग गया और दूर जाकर बेहोश हो गया।जब उसको होश आया तब उसके पिता इन्द्र ने कहा।कि तुम हनुमान जी की शक्ति के 5वे भाग को भी सहन नही कर पाए। तो उनकी पूरी शक्ति को क्या सहन करोगे। बाली को अपनी भूल का पछतावा हुआ । उसने हनुमान जी से क्षमा मांगी। हनुमान जी ने उनको क्षमा कर दिया

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