उत्तर दिया सहज का क्या अर्थ है आत्मा जिन गुणों को बिना किसी बाह्य इच्छा आकर्षण भय या छल के अभिव्यक्ति करे उसे ही सहज भाव कहते हैं, सौन्दर्य को जो बिना किसी कृत्रिम साधन के बढ़ाता हो, नारी का वह भाव ही सच्चा आभूषण है। किंतु यह वासवदत्ता समझ न सकी। उसने कहा मैं स्पष्ट जानना चाहती हूँ यों पहेलियों में आप मुझे न उलझाएँ उपगुप्त अब गंभीर हो गए और बोले भद्रे, यदि आप और स्पष्ट जाननी चाहती हैं तो इन कृत्रिम सौन्दर्य परिधान और आभूषणों को उतार फेंकिए, पैरों की थिरकन के साथ वासव दत्ता ने एक-एक आभूषण उतार दिए। संन्यासी निर्निमेष वह क्रीड़ा देख रहा था, निश्छल मौन विचार-मग्न वासवदत्ता ने अब परिधान उतारने भी प्रारंभ कर दिए। साड़ी,चुनरी लहंगा और कंचुकी सब उतर गए शुभ्र निर्वसन देह के अतिरिक्त शरीर पर कोटपट-परिधान शेष नहीं रहा तपस्वी ने कहा-देवि किंचित मेरी ओर देखिए किंतु इस बार वासवदत्ता लज्जा से आविर्भूत ऊपर को सिर न उठा सकी। तपस्वीने कहा देवि यही लज्जा ही नारी का सच्चा आभूषण है और जब तक उसने वस्त्राभूषणपु धारण किए उपगुप्त वहाँ से जा चुके थे।
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